राघवन नेचुरोपैथी के साथ GBS से राहत की ओर
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर autoimmune रोग है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) गलती से अपनी ही नसों (Nerves) पर हमला करती है। इससे नसों की परत (Myelin Sheath) को नुकसान होता है, जिसके कारण मांसपेशियों का नियंत्रण और संवेदनशीलता प्रभावित हो जाती है।
राघवन नेचुरोपैथी में हम GBS के इलाज में केवल लक्षणों पर नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ पर काम करते हैं। Metabolic Therapy, आहार सुधार और विशेष पुनर्वास तकनीकों के जरिए Immune System को संतुलित करने, नसों की क्षति को ठीक करने और मांसपेशियों की ताकत वापस लाने पर ध्यान दिया जाता है।
GBS का कारण और यह शरीर में कैसे विकसित होता है
मुख्य लक्षण
समय पर उपचार न मिलने पर GBS के गंभीर जोखिम और संभावित खतरे
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक ऐसी स्थिति है जो समय पर पहचान और सही उपचार न मिलने पर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। यह बीमारी नसों और मांसपेशियों की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे रोज़मर्रा के कामकाज और जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ता है। कुछ मामलों में यह तेजी से बढ़कर जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है।

लकवा (Paralysis)
अगर GBS का उपचार समय पर न किया जाए तो मांसपेशियों पर नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो सकता है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों या पूरे शरीर में लकवा हो सकता है।

सांस लेने की मांसपेशियों पर असर
बीमारी अगर सांस लेने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करे तो मरीज को गंभीर श्वसन समस्या हो सकती है, जिसके लिए तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।

लंबे समय तक बनी रहने वाली कमजोरी
कई मरीजों में बीमारी से उबरने के बाद भी महीनों या सालों तक मांसपेशियों की ताकत पूरी तरह वापस नहीं आती, जिससे चलने-फिरने या काम करने में परेशानी हो सकती है।

नसों में दर्द और संवेदनशीलता की समस्या
कुछ मरीजों को लंबे समय तक नसों में दर्द, जलन, झुनझुनी या सुन्नपन महसूस हो सकता है, जो जीवन की सामान्य गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।