राघवन नेचुरोपैथी के साथ GBS से राहत की ओर

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर autoimmune रोग है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) गलती से अपनी ही नसों (Nerves) पर हमला करती है। इससे नसों की परत (Myelin Sheath) को नुकसान होता है, जिसके कारण मांसपेशियों का नियंत्रण और संवेदनशीलता प्रभावित हो जाती है।
राघवन नेचुरोपैथी में हम GBS के इलाज में केवल लक्षणों पर नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ पर काम करते हैं। Metabolic Therapy, आहार सुधार और विशेष पुनर्वास तकनीकों के जरिए Immune System को संतुलित करने, नसों की क्षति को ठीक करने और मांसपेशियों की ताकत वापस लाने पर ध्यान दिया जाता है।

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GBS का कारण और यह शरीर में कैसे विकसित होता है

  • अक्सर शुरुआत किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे फ्लू, डायरिया या श्वसन संक्रमण) के बाद होती है।
  • संक्रमण से लड़ते समय Immune System सक्रिय हो जाता है
  • लेकिन संक्रमण खत्म होने के बाद Immune System गलती से शरीर की अपनी नसों को भी निशाना बनाने लगता है
  • यह हमला नसों की सुरक्षा परत (Myelin Sheath) को नुकसान पहुंचाता है।
  • क्षतिग्रस्त नसों में सूजन और सिग्नल ट्रांसमिशन की रुकावट पैदा हो जाती है।
  • नतीजतन, मांसपेशियों तक दिमाग से संदेश सही तरीके से नहीं पहुंच पाते, जिससे कमजोरी, सुन्नपन और संतुलन की समस्या होती है।

मुख्य लक्षण

GBS आमतौर पर पैरों से शुरू होता है, जहाँ हल्की झुनझुनी, सुई चुभने जैसा एहसास या सुन्नपन महसूस होता है।

यह कमजोरी धीरे-धीरे पैरों से ऊपर की ओर बढ़ते हुए जांघ, हाथ और कंधों तक पहुंच सकती है।

मांसपेशियों पर नियंत्रण कम होने से चलना मुश्किल हो सकता है और व्यक्ति आसानी से गिर सकता है।

रोज़मर्रा के काम जैसे लिखना, कप पकड़ना या बटन लगाना भी कठिन हो जाता है।

अगर बीमारी सांस लेने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करे तो मरीज को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, जो आपातकालीन स्थिति बन सकती है।

समय पर उपचार न मिलने पर GBS के गंभीर जोखिम और संभावित खतरे

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक ऐसी स्थिति है जो समय पर पहचान और सही उपचार न मिलने पर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। यह बीमारी नसों और मांसपेशियों की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे रोज़मर्रा के कामकाज और जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ता है। कुछ मामलों में यह तेजी से बढ़कर जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है।

Call To Action
लकवा (Paralysis)

अगर GBS का उपचार समय पर न किया जाए तो मांसपेशियों पर नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो सकता है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों या पूरे शरीर में लकवा हो सकता है।

सांस लेने की मांसपेशियों पर असर

बीमारी अगर सांस लेने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करे तो मरीज को गंभीर श्वसन समस्या हो सकती है, जिसके लिए तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।

लंबे समय तक बनी रहने वाली कमजोरी

कई मरीजों में बीमारी से उबरने के बाद भी महीनों या सालों तक मांसपेशियों की ताकत पूरी तरह वापस नहीं आती, जिससे चलने-फिरने या काम करने में परेशानी हो सकती है।

नसों में दर्द और संवेदनशीलता की समस्या

कुछ मरीजों को लंबे समय तक नसों में दर्द, जलन, झुनझुनी या सुन्नपन महसूस हो सकता है, जो जीवन की सामान्य गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।

राघवन नेचुरोपैथी में उपचार दृष्टिकोण

राघवन नेचुरोपैथी में हम गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के उपचार में केवल लक्षणों को कम करने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि बीमारी की जड़ पर काम करते हैं। हमारा लक्ष्य Immune System को संतुलित करना, नसों की क्षति की भरपाई करना और मांसपेशियों की ताकत को वापस लाना है। इसके लिए हम Metabolic treatment, चिकित्सीय आहार (Therapeutic Diet), विशेष फिजियो-रिहैबिलिटेशन और जीवनशैली सुधार को एक साथ अपनाते हैं।
इस समग्र (Holistic) दृष्टिकोण से न केवल रिकवरी की गति बढ़ती है, बल्कि मरीज के जीवन की गुणवत्ता में भी लंबे समय तक सुधार आता है। हमारा फोकस मरीज को दवाइयों पर न्यूनतम निर्भर बनाकर प्राकृतिक और स्थायी स्वास्थ्य प्रदान करना है।